Friday, April 9, 2010

II जय श्री पाट बाबा II


स्वयमेवसिध्दपीठ श्री पाट बाबा

श्री पाट बाबा की दिव्य एवं अलौकिक प्रतिमा का प्राकट्य गन कैरिज फैक्ट्री , जबलपुर में सन १९०३ में हुआ,जो कि अपने आप में एक विस्मयकारी एवं चमत्कारी घटना है।

तत्कालीन फैक्ट्री कर्मचारियों द्वारा बताये गए अनुसार जब फैक्ट्री की स्थापना का कार्य प्रगति पर था , तब चमत्कारिक ढंग से निर्माण ध्वस्त होने लगा। यह प्रतिक्रिया अनेकानेक बार हुई। उस समय के ब्रिटिश लेफ्टिनेंट कर्नल स्टेनली स्मिथ को स्वप्न में श्री पाट बाबा ने दर्शन देकर बताया कि "मेरा स्थान निर्माणी क्षेत्र में रहा है ,पहले मेरी स्थापना खुले क्षेत्र में सबके दर्शनार्थ की जाये तभी निर्माणी की स्थापना का कार्य सफल होगा। "

श्री पाट बाबा की दिव्य प्रतिमा को लाल वस्त्र में लपेट कर १२ अगस्त १९०३ को श्रावन मास शुक्ल पक्ष संवत १९६०हस्त नक्षत्र नाग पंचमी के दिन इस सुरम्य वादियों की पहाड़ी पर पूर्ण शास्त्रोक्त विध- विधान से प्रतिष्ठित करायागया। इसके बनाद फैक्ट्री का निर्माण कार्य अवाध रूप से चलता रहा और तभी से श्री पाट बाबा की कृपा से निर्माणीमें देश की सुरक्षा हेतु उत्पादन कार्य बिना किसी व्यवधान के सुचारू रूप से चल रहा है।

फैक्ट्री की स्थापना हेतु किया जाने वाला निर्माण ध्वस्त हो(पट)जाने एवं प्रतिमा को वस्त्र से निकाले जाने केकारण श्री हनुमान जी के रूप में जन मानस में विख्यात होकर आस्था की प्रतीक बनी हुई है।

यहाँ प्रति वर्ष श्रावण मास में फैक्ट्री के समस्त अनुभागों द्वारा झंडा चढाने की परंपरा चली रही है तथा ऐसी भी मान्यता है कि यहाँ पर पट बन्धन करने दर्शन करने मात्र से, भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

इस स्वयमेव सिध्द पीठ के दर्शन कर आप भी हनुमत कृपा का अलौकिक आनंद प्राप्त करें ।
II जय श्री पाटबाबा II

1 comment:

  1. कोई दर्द बाँटता तो कोई खुशी बाँटता है।
    जिसके पास जो होता, वो वही बाँटता है।
    अँधेरों में जीना भी कोई जीना है दोस्त,
    उसका जीना जीना, जो रोशनी बाँटता है।

    क्या बात है...भाई साहब! आज जब तमाम विघटनकारी एवं फ़िरकापरस्त ताक़तें अँधेरों की महफ़िलें सजाने में लगी हों, तब समाज को जोड़ने वाले ऐसे अनुकरणीय स्वर सर्वथा वरेण्य हैं।

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